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जगद्गुरु रामभद्राचार्य के एक सत्संग में अरुण गोविल पहुंचे थे. यहां अरुण गोविल आते हैं और रामभद्राचार्य के पैर छूते हैं. तभी रामभद्राचार्य उन्हें अपने सीने से लगा लेते हैं. कुछ सेकेंड्स के लिए उन्होंने अरुण गोविल को गले से लगाए रखा. रामभद्राचार्य इस दौरान रोने लगे, वे काफी भावुक नजर आए. जगद्गुरु ने अरुण को संवाद सुनाने को कहा.